Kahe Pagli Barkha Chhai

Khaiyyaam, Jan Nishar Akhtar

हम्म हम्म हम्म हम्म
काहे पगली बरखा छाई
तेरे इन दो नैनन मे
काहे पगली बरखा छाई
तेरे इन दो नैनन मे
जाने ऐसे कितने मौसम
आए जाए जीवन मे

दुनिया सुलगी आग है माना
जलने दे इस आग मे दिल
दुनिया सुलगी आग है माना
जलने दे इस आग मे दिल
आग लगे से होता क्या है
फिर भी खुशबु चंदन मे है
काहे पगली बरखा छाई
तेरे इन दो नैनन मे

पल पल मुझको ऐसा लगता
बीत चले अंधियारे दिन
पल पल मुझको ऐसा लगता
बीत चले अंधियारे दिन
कोई सूरज झांक रहा है
मेरे मन के आँगन मे

मैने तेरी खातिर कितने
सुंदर सपने देखे है
मैने तेरी खातिर कितने
सुंदर सपने देखे है
माथे झूमर पैरो पायल
हाथ सजे है कंगन मे
काहे पगली बरखा छाई
तेरे इन दो नैनन मे

Trivia about the song Kahe Pagli Barkha Chhai by Mukesh

When was the song “Kahe Pagli Barkha Chhai” released by Mukesh?
The song Kahe Pagli Barkha Chhai was released in 1975, on the album “Kahe Pagli Barkha Chhai”.
Who composed the song “Kahe Pagli Barkha Chhai” by Mukesh?
The song “Kahe Pagli Barkha Chhai” by Mukesh was composed by Khaiyyaam, Jan Nishar Akhtar.

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