Ghar Se Door

Badshah

बैठा हूँ मैं फ्लाइट में
मैनेजर है साइड में
तारे मेरी साइड में
जागा पूरी नाइट मैं
खाली बैठूँ जो मैं
होती एंग्जायटी
पागल वागल लगता है
क्या बोलेगी सोसाइटी
अपनी बच्ची से दूर हूँ
देखा नहीं कब से
काम काम काम बस
दूर हुआ सबसे
मम्मी का फोन काटूँ
कभी कभी पापा को डाँटूँ
करूँ सीधे मुंह ना बात मैं
भूला अपनी औकात मैं
हुआ बर्बाद मैं
जागूँ पूरी रात मैं
कोई नहीं साथ में
जागूँ पूरी रात मैं
अपनी ही याद में
जागूँ पूरी रात मैं
देखूँ अपने हाथ मैं
जागूँ पूरी रात मैं
अपनी ही याद में
अए अए 6 शेहरों में घर
फिर भी घर से हूँ दूर मैं
मौज मैं करता हूँ या हूँ मजबूर मैं
क्या ही करूंगा होके इतना मशहूर मैं
जो मिट्टी में ही मिलना है सबने
सोऊंगा तभी तो देख पाऊँगा मैं सपने
इस ज़िंदगी से अब सर लगा खपने
जाने क्यूँ लोग मेरे नाम लगे जपने
जिनसे मिला भी नहीं उनकी भी
राय है मेरे बारे में
लोग अफवाह है फैलाएँ मेरे बारे में
जलने वाले गाने बनाएँ मेरे बारे में
माँ बाप को बातें बताएं मेरे बारे में
अए
इतना तो नाम नहीं जितना बदनाम हूँ
फिर भी सबकुछ करता सरे आम हूँ
गालियाँ सुन के भी रेहने लगा calm हूँ
नाम बादशाह पर अपने फ़ेम का गुलाम हूँ
पब्लिक फ़िगर हूँ पब्लिक प्रॉपर्टि नहीं
मैं लोगों के रवैये से थोड़ा हैरान हूँ
बिलकुल तुच्चे से मुझ में भी दिल है
लोग भूल जाते है की मैं भी इंसान हूँ
जागूँ पूरी रात मैं
कोई नहीं साथ में
जागूँ पूरी रात मैं
अपनी ही याद में
जागूँ पूरी रात मैं
देखूँ अपने हाथ मैं
जागूँ पूरी रात मैं
अपनी ही याद में
टॉप पे खड़ा हूँ फिर भी रोने का मन है
भाग के थक्क गया हूँ सोने का मन है
जो भी कमाया सब खोने का मन है
एकदम से ही गायब होने का मन है
ये ज़िंदगी भूल जाने का मन है
फिर से वापस स्कूल जाने का मन है
दुनिया के लिए मर जाने का मन है
मेरा वापस घर जाने का मन है

Trivia about the song Ghar Se Door by बादशाह

Who composed the song “Ghar Se Door” by बादशाह?
The song “Ghar Se Door” by बादशाह was composed by Badshah.

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