Har Taraf Ab Yehi Afsane Hain
Budhaditya Mukherjee
हर तरफ अब्ब यही अफ़साने हैं
हर तरफ अब्ब यही अफ़साने हैं
हम तेरी आँखों के दीवाने हैं
हम तेरी आँखों के दीवाने हैं
हर तरफ अब यही अफ़साने हैं
हर तरफ अब यही अफ़साने हैं
इतनी सच्चाई है इन् आँखों में
खोटे सिक्के भी खड़े हो जाये
तू कभी प्यार से देखे जो इधर
सूखे जंगल भी हरे हो जाये
बाग बन जाये बाग बन जाये जो विराने हैं
हम तेरी आँखों के दीवाने हैं
हम तेरी आँखों के दीवाने हैं
हर तरफ अब यही अफ़साने हैं हर तरफ अब यही अफ़साने हैं