Ek Nazar
Rita Rai
तेरी वो इक नज़र
च्छू गयी इस कदर
खोता ही जा रहा, मुझसे मेरा सबर
कैसा है ये नशा
कैसा खुमार है
ख्वाबों की है ज़मीन
सिर्फ़ तेरी प्यास है
ढूनदा करूँ अब रात दिन
तेरे निशान तेरे निशान
तेरे बिन जी नहीं पऔन माहिया
मार भी ना पऔन, माहिया
करूँ तो मैं क्या करूँ माहिया
जानू, ना जानू ना
तेरा ही ख़याल है
तेरी ही तो है फिकर
मेरी हर बात पे
तेरा ही तो है ज़िकार
मुझपे पढ़े तेरा करम
बस अब यही है इलतेजा
तेरे बिन जी नही पौन अब माहिया
मार भी ना पऔन अब माहिया
करूँ तो मैं क्या करूँ माहिया वे
जानूँ ना, ना जानूँ ना
मंज़िलें तूही है
तूही तो है रास्ता
जौन तो जौन अब
तेरे बिन बता मैं कहाँ
मिल जाओ ना, ओह अब तुम मुझे
पूरी हो ये दास्तान
तेरे बिन जी नही पौन अब माहिया
मार भी ना पऔन अब माहिया
करूँ तो मैं क्या करूँ माहिया वे
जानूँ ना, ना जानूँ ना