Mujhme Kabhi

Subarat Sinha

मुझमें कभी कोई यूँ खोया था कहीं
राह भी सदा साँसों में पाया भी नहीं

रुके रुके पलों में
कहे यूँ ही चले ज़िन्दगी
मिले कभी ख़ुशी भी
जीन के लिए बनके अजनबी आ

लम्हे कहीं रूठे है जीने के सभी
मिला है वहीँ राहो मे खोया जो कहीं

गुज़रते सभी जो लम्हे वहीँ जीए ज़िन्दगी
निखर गए सुकून जो आने के लिए तरसे हर ख़ुशी

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