Suno Re

JAVED AKHTAR, VISHAL SHEKHAR

सुनो रे सुणो रे भईला के
जोगी है क्यूँ जोगीड़ा रे
सुनो रे सुणो रे भईला के
जोगी है क्यूँ जोगीड़ा रे
फिर क्यूँ बनके ऐसा हल
हुवा उसका मन क्यूँ बेकल
वह क्यूँ घुमे जंगल जंगल
वह क्यों छोड़ आया चौपाल
भईला रे ओ वीरा रे

ना नींद आये उसको रैना ना
वह पाये दिन में चैन
ना नींद आये उसको रैना ना
वह पाये दिन में चैन
है तन एक पिंजरा जिसमें
यह रहती है मनन की मैना
ना पींजरा रहे ना कोई जल
सुनो रे सुणो रे भईला के
जोगी है क्यूँ जोगीड़ा रे

किसे पाप समझे कोई
किसे पुण्य कोई माने
किसे पाप समझे कोई
किसे पुण्य कोई माने
जिए कैसे जोगी जग में
जो इतना भी वह ना जाने
कहे क्या जो पूछे मन सवाल
सुनो रे सुणो रे भईला के
जोगी है क्यूँ जोगीड़ा रे
फिर क्यूँ बनके ऐसा हल
हुवा उसका मन क्यूँ बेकल
वह क्यूँ घुमे जंगल जंगल
वह क्यों छोड़ आया चौपाल
भईला रे ओ वीरा रे.

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