Aah Ko Chahiye
MIRZA GHALIB, UST. BARKAT ALI KHAN
आह को चाहिए एक उम्र असर होने तक
आह को चाहिए एक उम्र असर होने तक
कौन जीता है तेरे ज़ुल्फ़ के सर होने तक
आह को चाहिए
आशिक़ी सब्र तलब और तमन्ना बेताब
आशिक़ी सब्र तलब और तमन्ना बेताब
दिल का क्या रँग करूँ खून-ए-जिगर होने तक
दिल का क्या रँग करूँ खून-ए-जिगर होने तक
कौन जीता है तेरे ज़ुल्फ़ के सर होने तक
आह को चाहिए
हम ने माना के तगा कुल न करोगे लेकिन
हम ने माना के तगा कुल न करोगे लेकिन
खाक हो जाएंगे हम तुम को खबर होने तक
खाक हो जाएंगे हम तुम को खबर होने तक
कौन जीता है तेरे ज़ुल्फ़ के सर होने तक
आह को चाहिए एक उम्र असर होने तक
आह को चाहिए