Udaan
डरी डरी आँखों में
बुनते ख्वाब नए जो
दबी सभी राहे
ख्वाबों के आग तले हो
फिर कैसे लम्हों के
आस लगाए हे
इस आग में राख हुआ तो पार लगे है
मन का है ख़वाब यही
सोचता जाए है
पर तेरे हौसले से तो हार डरे है
मन को ये बता
जो तू तेरा हुआ
तो तेरा आसमा
हर उड़ान तेरी
खुद पर ऐतबार
के बाद का बयान
मन को ये बता जो तू तेरा हुआ
तो तेरा आसमा
खुदी की आग तू बना
तुझे मिली जो है वजह
फिर आग से तेरी बना
तेरे ही ख़वाब का जहां
फिर कैसे लम्हों को
आस लगाए है
होना जो करना जो
सब आज अभी है
मन का है काम येही
ये सोचते जाए है
पर तेरे होंसला से
तो हार डरे है
मन को ये बता
जो तू तेरा हुआ
तो तेरा आसमां
हर उड़ान तेरी
खुद पर ऐतबार
के बाद का बयां
मन को ये बता
जो तू तेरा हुआ
तो तेरा आसमा
हर उड़ान तेरी
खुद पर ऐतबार
के बाद का बयां