Koi Phool Kahin Na Khila

MILIND, SAMEER, ANAND ANAND

कोई फूल कही न खिला
फिर ख़ुश्बू कहा से आयी
कोई पत्ता नहीं हिल फिर
कैसे चली पुरवाई
कोई फूल कही न खिला
फिर ख़ुश्बू कहा से आयी
कोई पत्ता नहीं हिल
फिर कैसे चली पुरवाई

चाहत के खुमार का
ये जादू है प्यार का

मुझे हो गया है प्यार

किससे
तुमसे

मुझे हो गया है प्यार
तुमसे हा हा तुमसे

कोई फूल कही न खिला
फिर ख़ुश्बू कहा से आयी
कोई पत्ता नहीं हिल
फिर कैसे चली पुरवाई

दिन के उजली धूप मै भी
मुझको चाँद नजर आये
गर्मी के इस आलम में
बर्ग गगन क्यों बरसाए

हो चन्दन के लगने से भी
तन की आग नहीं बुझती
बिन प्रीतम की कलियों की
सेज बदन में है चुभती

कोई होठ कही न खुला
फिर कैसे बजी ये सरगम

है वक़्त यही ठहरा
फिर कैसे ढला ये मौसम

चाहत के खुमार का
ये जादू है प्यार का

मुझे हो गया है प्यार

किससे
तुमसे

मुझे हो गया है प्यार
तुमसे हा हा तुमसे

आओ इस ख़ामोशी में
धड़कन की आवाज़ सुने
मिलके हम तन्हाई में
बेचैनी के ख्वाब बुने

हम इतने नजदीक रहे
दो साँसे एक साथ चले
मदमाती मदहोशी में
उल्फत के अरमान पाले

कोई डोर कही न दिखी
फिर कैसे जुड़े ये बंधन

दो प्राण कही न मिले
फिर कैसे मिले है जीवन

चाहत के खुमार का
ये जादू है प्यार का

मुझे हो गया है प्यार

किससे
तुमसे

मुझे हो गया है
प्यार तुमसे हा हा तुमसे

Trivia about the song Koi Phool Kahin Na Khila by Abhijeet

Who composed the song “Koi Phool Kahin Na Khila” by Abhijeet?
The song “Koi Phool Kahin Na Khila” by Abhijeet was composed by MILIND, SAMEER, ANAND ANAND.

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