Raaton
Aditya Rikhari
रातों की तन्हाईयाँ
आँखों में आने ना दूँ
कैसे देखकर तुम्हें
दिल को दिल लगाने ना दूँ
रातों की तन्हाईयाँ
आँखों में आने ना दूँ
कैसे देखकर तुम्हें
दिल को दिल लगाने ना दूँ
जाने का मन बनाये हुए
जाने का मन बनाये हुए
हो कैसे तुम्हें मैं जाने ना दूँ
रातों की तन्हाईयाँ
सोच कर तुम्हें सोचते रहे
यादों को फिर नोचते रहे
खरोचते रहे सभी
जख्मों को फिर रात भर
रात भर से फिर सोचते रहे
ऐसा सो जाऊं कभी
किसी को फिर जगाने ना दूँ
ऐसा सो जाऊं कभी
किसी को फिर जगाने ना दूँ
खाबों में ही तो हो मिले
खाबों में ही तो हो मिले
मैं कैसे नींद आने ना दूँ
रातों की तन्हाईयाँ