Jazbaat

Shellee

चल पड़े जहाँ भी ले जाए रास्ता
मन चले पर कहाँ ये तो ना पता
ये जज़्बात ओढ़ के
ज़माना पीछे छोड़ के
हो वक्त ना थम पाए
चला जाए दिखाए नई दिशाएँ
ये जज़्बात ओढ़ के
ज़माना पीछे छोड़ के
हो वक्त ना थम पाए
चला जाए दिखाए नई दिशाएँ

जिन्हें केहते है हम तकदीरें
कर्म के हाथों में वही लकीरें
ओस की बूंदों को क्या हे पाता
पत्तियों से फिसल वो जाएगी किधर

झल्ले है जुनून में अब चल ही दिए
खौफ़ बेखौफ़ अब जो भी हो
नहीं छोड़ो जाने दो उसे आगे
नई सोच के सुर छेड़ो
ये जज़्बात ओढ़ के
ज़माना पीछे छोड़ के
हो वक्त ना थम पाए
चला जाए दिखाए नई दिशाएँ
ये जज़्बात ओढ़ के
ज़माना पीछे छोड़ के
हो वक्त ना थम पाए
चला जाए दिखाए नई दिशाएँ

इस राह पे जाना जो तह हुआ
सर आँखों पे जो भी है अब लिख दिया
होना क्या उस से जुदा
ख्वाहिशों को भूल के हमें है चलना
बारिशों में जले वो दिए है बनना
ओ जी ये नूर अलग कुछ है
किस्मत से मिलता है जो
झल्ले है दीवाने हम संजीदा
लड़ते जो मारे बस वो ही जिंदा
देखो ना हो गया कर ही दिया
हमने हर मंज़र पीछे छोड़ दिया
ये जज़्बात ओढ़ के
ज़माना पीछे छोड़ के
हो मुठ्ठियों में भर आए
भर आए है सारा दम अपना
ये जज़्बात ओढ़ के
ज़माना पीछे छोड़ के
हो वक्त ना थम पाए
चला जाए दिखाए नई दिशाएँ
चल पड़े जहाँ भी ले जाए रास्ता
मन चले पर कहाँ ये तो ना पता
ये जज़्बात ओढ़ के
ज़माना पीछे छोड़ के
हो मुठ्ठियों में भर आए
भर आए है सारा दम अपना
ये जज़्बात ओढ़ के
ज़माना पीछे छोड़ के

Trivia about the song Jazbaat by A.R. Rahman

Who composed the song “Jazbaat” by A.R. Rahman?
The song “Jazbaat” by A.R. Rahman was composed by Shellee.

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