Kaash [Unplugged]

Amitabh Bhattacharya

मेहरबानी, है तकदीरों की
जो तेरी मेरी राहें यूँ, आ के मिली हैं
है ये कहानी, उन लकीरों की
जो तेरे मेरे हाथों की जुड़ रही हैं

इक रेत का सेहरा हूँ मैं
बारिश की फिज़ा है तू
आधा लिखा एक ख़त हूँ मैं
और ख़त का पता है तू

अगर काश समझ पाए
मेरे लिए क्या है तू
अगर काश समझ पाए
मेरे लिए क्या है तू
अगर काश समझ पाए
मेरे लिए क्या है तू
अगर काश समझ पाए
मेरे लिए क्या है तू

खुशनसीबी, है मेरी आँखों की
जो तेरा सपना रातों मे देखती हैं
ख़ुश्मिज़ाजी, है मेरी बाहों की
तेरी हरारत से खुद को सेंकती हैं

मैं रात हूँ और चाँद की
सूरत की तरह है तू
लग के नहीं जो छूटती
आदत की तरह है तू
अगर काश समझ पाए
मेरे लिए क्या है तू
अगर काश समझ पाए
मेरे लिए क्या है तू
अगर काश समझ पाए
मेरे लिए क्या है तू
अगर काश समझ पाए
मेरे लिए क्या है तू
हो हो हो हो हो हो
हो हो हो हो हो हो
हो हो हो हो हो हो

Trivia about the song Kaash [Unplugged] by Arijit Singh

Who composed the song “Kaash [Unplugged]” by Arijit Singh?
The song “Kaash [Unplugged]” by Arijit Singh was composed by Amitabh Bhattacharya.

Most popular songs of Arijit Singh

Other artists of Film score