फिर कभी [Reprise]

Manoj Muntashir

ये लम्हा जो ठहरा है
मेरा है ये तेरा है
ये लम्हा मैं जी लूं ज़रा
तुझमें खोया रहूँ मैं
मुझ में खोयी रहे तू
खुदको ढूंढ लेंगे फिर कभी
तुझसे मिलता रहूँ मैं
मुझसे मिलती रहे तू
ख़ुद से हम मिलेंगे फिर कभी
हाँ फिर कभी

क्यूँ बेवजह गुनगुनाएं
क्यूँ बेवजह मुस्कुराएं
पलकें चमकने लगी है
अब ख्वाब कैसे छुपायें
बहकी सी बातें कर लें
हंस हंस के आँखें भर लें
ये बेहोशियाँ फिर कहाँ
तुझमें खोया रहूँ मैं
मुझमें खोयी रहे तू
ख़ुद दो ढूंढ लेंगे फिर कभी
तुझसे मिलता रहूँ मैं
मुझसे मिलती रहे तू
ख़ुद से हम मिलेंगे फिर कभी
हाँ फिर कभी

दिल पे तरस आ रहा है
पागल कहीं हो ना जाएँ
वो भी मैं सुनने लगा हूँ
जो तुम कभी कह ना पाए
ये सुबह फिर आएगी
ये शामें फिर आएंगी
ये नजदीकियां फिर कहाँ
तुझमें खोया रहूँ मैं
मुझमें खोयी रहे तू
ख़ुद दो ढूंढ लेंगे फिर कभी
तुझसे मिलता रहूँ मैं
मुझसे मिलती रहे तू
ख़ुद से हम मिलेंगे फिर कभी
हाँ फिर कभी ओ ओ फिर कभी

Trivia about the song फिर कभी [Reprise] by Arijit Singh

Who composed the song “फिर कभी [Reprise]” by Arijit Singh?
The song “फिर कभी [Reprise]” by Arijit Singh was composed by Manoj Muntashir.

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