Tum Aa Gaye Ho Noor Aa Gaya [1]
GULZAR, RAHUL DEV BURMAN
ओ ओ ओ ओ ओ ओ
दिन डूबा नहीं रात डूबी नहीं
जाने कैसा है सफ़र
ख़्वाबों के दिए आँखों में लिए
वहीं आ रहे थे
जहाँ से तुम्हारी सदा आ रही थी
तुम आ गए हो नूर आ गया है
नहीं तो चरागों से लौ जा रही थी
ओ ओ ओ ओ ओ ओ
जीने की तुमसे वजह मिल गई है
बड़ी बेवजह ज़िन्दगी जा रही थी
ओ ओ ओ ओ ओ ओ