Bhari Mehfil Mein Ishare Se

Gulzar, KUMAR HEMANT

भरी महफ़िल में इशारे से बुलया कीजे
नज़र पे रख के नज़र आँख मिलया कीजे
तेरे गले से लग के अकेली रात जवान हो गयी
तेरे लबों को छु के लबों की बात जवान हो गयी
लबो के नगमे निगाहों से सुनाया कीजे
नज़र पे रख के नज़र आँख मिलया कीजे
भरी महफ़िल में इशारे से बुलया कीजे
नज़र पे रख के नज़र आँख मिलया कीजे

कोई न देखे दिल के इरादे कोरे कवारे होठो के वादे
कोई न देखे दिल के इरादे कोरे कवारे होठो के वादे
काँप रही है हुस्न के आगे कोई तो उसकी शमा बुझा दे
बुझा के शमा कभी दिल भी जलाया कीजै
नज़र पे रख के नज़र आँख मिलया कीजे
भरी महफ़िल में इशारे से बुलया कीजे
नज़र पे रख के नज़र आँख मिलया कीजे
और सुनहरी होने लगी है परछिया जाम की
ऐसे में कोई कैसे गुज़ारे तन्हाईया शाम की
दबी पलकों से फ़सानो को छुपाया कीजे
नज़र पे रख के नज़र आँख मिलया कीजे
भरी महफ़िल में इशारे से बुलया कीजे
नज़र पे रख के नज़र आँख मिलया कीजे

Trivia about the song Bhari Mehfil Mein Ishare Se by Asha Bhosle

Who composed the song “Bhari Mehfil Mein Ishare Se” by Asha Bhosle?
The song “Bhari Mehfil Mein Ishare Se” by Asha Bhosle was composed by Gulzar, KUMAR HEMANT.

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