Chanda Ki Doli Mein
चंदा की डोली में थी
एक परियों की रानी
हिरे के थे पंख जिस के
थे उसी की है ये कहानी
चंदा की डोली में थी
एक परियों की रानी
हिरे के थे पंख जिस के
थे उसी की है ये कहानी
चंदा की डोली में थी
एक परियों की रानी
एक दिन वो पारी बावरी सी हो गयी
उसके होठो की हसी जाने कहा थी खो गयी
एक दिन वो पारी बावरी सी हो गयी
उसके होठो की हसी जाने कहा थी खो गयी
उसके मुख पर थी उदासी आँखों में था पानी
चंदा की डोली में थी एक परियों की रानी
यहाँ तक तो हमारी ओर पारी की कहानि एक सी
लेकिन इस के बाद हम हम है और पारी
पैरों में घुँगुरु तबहिबंध कर
कुछ मोर नाचे जो उस के लिए
पैरों में घुँगुरु तबहिबंध कर
कुछ मोर नाचे जो उस के लिए
वो हँस पड़ी उनसे हिरे सभी
मोरो के पंखो पे जड़वा दिए
वो हँस पड़ी उनसे हिरे सभी
मोरो के पंखो पे जड़वा दिए
तब से यहा हर मोर के पंखों पर उसकी है निशानी
चंदा की डोली में थी एक परियों की रानी (चंदा की डोली में थी एक परियों की रानी)
हिरे के थे पंख जिस के थे उसी की है ये कहानी (हिरे के थे पंख जिस के थे उसी की है ये कहानी)
चंदा की डोली में थी एक परियों की रानी (चंदा की डोली में थी एक परियों की रानी)