Hum Panchhi Ek Daal Ke [Pt.2]

N. DUTTA, P.L. SANTOSHI

हम पंछी एक डाल के एक डाल के
संग संग डोलें जी संग संग डोलें
संग संग डोलें जी संग संग डोलें
बोली अपनी अपनी बोलें
बोली अपनी अपनी बोलें
जी बोलें जी बोलें
संग संग डोलें जी संग संग डोलें
हम पंछी एक डाल के एक डाल के

पूरब है फिर देने वाला
हो पूरब है फिर देने वाला
सारी दुनिया को उजियाला
सारी दुनिया को उजियाला
चलो बंधुओं उड़ कर जाएँ
द्वार गगन के खोलें
जी खोलें जी खोलें
संग संग डोलें जी संग संग डोलें
संग संग डोलें जी संग संग डोलें
बोली अपनी अपनी बोलें
बोली अपनी अपनी बोलें
जी बोलें जी बोलें
संग संग डोलें जी संग संग डोलें
हम पंछी एक डाल के एक डाल के

उठ न सके जो अब तक सो के
अब तक सो के
पा न सके जो सब कुछ खो के
सब कुछ खो के
उठ न सके जो अब तक सो के
पा न सके जो सब कुछ खो के
उनके जीवन हम वापर
नव जीवन रस घोलें
जी घोलें जी घोलें
संग संग डोलें जी संग संग डोलें
संग संग डोलें जी संग संग डोलें
बोली अपनी अपनी बोलें
बोली अपनी अपनी बोलें
जी बोलें जी बोलें
संग संग डोलें जी संग संग डोलें
हम पंछी एक डाल के एक डाल के

Trivia about the song Hum Panchhi Ek Daal Ke [Pt.2] by Asha Bhosle

Who composed the song “Hum Panchhi Ek Daal Ke [Pt.2]” by Asha Bhosle?
The song “Hum Panchhi Ek Daal Ke [Pt.2]” by Asha Bhosle was composed by N. DUTTA, P.L. SANTOSHI.

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