Mai Bezuban Hu Panchhi
मई बजुबान हू पांच्ची
मुझे छोड़ कर दुआ ले
छ्होटी सी जान मेरी
मुझे गम से तू च्छुदा ले
आ आ आ
मई बजुबान हू पांच्ची
मुझे छोड़ कर दुआ ले
छ्होटी सी जान मेरी
मुझे गम से तू छुड़ा ले
मई बजुबान हू पांच्ची
फरियाद मेरी सुन ले
सुनता नही जमाना
बलि उमर मे गम का
मई हो गयी निसना
किस्मत मेरी
किस्मत मेरी है रूठी
तू ही उसे माना ले
छ्होटी सी जान मेरी
मुझे गम से तू छुड़ा ले
मई बजुबान हू पांच्ची
ऐसी काली हू जिसने
देखी नही बहारे
दुनिया के इस चमन मे
अब हम किसे पुकारे पुकारे
बहते नही
बहते नही है
मुझको महलो के
ये नज़ारे
छ्होटी सी जान मेरी
मुझे गम से तू च्छुदा ले
मई बजुबान हू पांच्ची
आ आ आ आ
आँखो मे नींद
कैसी रातो को जागती हू
सोते है सारी दुनिया
मई तो उठ के भागती हू
बोलू तो बोलू कैसे
मूह पर लगे है ताले
छ्होटी सी जान मेरी
मुझे गम से तू छुड़ा ले
मई बजुबान हू पांच्ची