Samjhi Thi Ki Ye Ghar Mera Hai
समझी थी के ये घर मेरा है
मालुम हुआ मेहमान थी मैं
हो जिन्हे अपना अपना कहती थी
हो उन सबके लिए अनजान थी मैं
इस तरह न मुझको ठुकराओ
इक बार गले से लग जाओ
हाय मै अब भी तुम्हारी हूँ लोगो
रूठो न अगर नादाँ थी मैं
तुम शाद रहो आबाद रहो
अब मैं तुम सबसे दूर चली
हाय परदेस बनी है वो गलियां
जिन गलियों की पहचान थी मैं