Suljhao Na Uljhi Zulfon Ko

Ravi, Gulshan Bawra

सुलझाओ न उलझी जुल्फों को
हम उलझन में पड़ जाते हैं
सुलझाओ न उलझी जुल्फों को

यूँ देख के उलझि नज़रों से
क्यों आप हमें उलझाते हैं

सुलझाओ न उलझी जुल्फों को
हम उलझन में पड़ जाते हैं
सुलझाओ न उलझी जुल्फों को

हम डूब रहे हैं मस्ती में
ऐसे में ना पलकें झपकाना
हम डूब रहे हैं मस्ती में
ऐसे में ना पलकें झपकाना

दर है आँखों ही आँखों में
बन जाए न कोई अफ़साना
बन जाए न कोई अफ़साना

ये पल तो गुज़र जाते हैं मगर
अफ़साने ही रह जाते हैं
सुलझाओ न उलझी जुल्फों को

इन बहकी बहकी बातों से
देखो जी हमें न बहकाओ
इन बहकी बहकी बातों से
देखो जी हमें न बहकाओ

मुद्दत से यूं ही तड़पाते हो
अब और हमें ना तड़पाओ
अब और हमें ना तड़पाओ

हम प्यार की लम्बी राहों पे
चलने से अभी घबराते हैं
सुलझाओ न उलझी जुल्फों को

यूँ देख के उलझी नज़रों से
क्यों आप हमें उलझाते हैं

सुलझाओ न उलझी जुल्फों को
हम उलझन में पड़ जाते हैं
सुलझाओ न उलझी जुल्फों को

Trivia about the song Suljhao Na Uljhi Zulfon Ko by Asha Bhosle

Who composed the song “Suljhao Na Uljhi Zulfon Ko” by Asha Bhosle?
The song “Suljhao Na Uljhi Zulfon Ko” by Asha Bhosle was composed by Ravi, Gulshan Bawra.

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