Yeh Saye Hain Yeh Duniya Hai [Commentary]

Gulzar, R D Burman

ये सब शयद शायर के खामख्याली हो
पता नहीं कैसी कैसी परछाइयों को
गृह लगा के बांध देना चाहता
सब जमा करता है और कुछ हाथ नहीं आता
ये सब के सब सरकते हुए साये है
इनमे दर्द भी है रस्म भी
अजीब चीज़ है ये शायर
चाहे जितना उढ़ेलता है खत्म ही नहीं होता

ये साये हैं, ये दुनिया है, परछाइयों की
ये साये हैं, ये दुनिया है
भरी भीड़ में खाली
भरी भीड़ में खाली
तन्हाइयों की ये साये हैं
ये दुनिया है

यहाँ कोई साहिल सहारा नहीं है
कहिं दूबने को किनारा नहीं है
यहाँ कोई साहिल सहारा नहीं है
यहाँ सारी रौनक ये रुसवाइयों की
ये साये है, ये दुनिया है परछाइयों की
ये साये है, ये दुनिया है

कई चाँद उठकर जलाए बुझाए
बहुत हमने चाहा ज़रा नींद आए
कई चाँद उठकर जलाए बुझाए
यहाँ रात होती है बेज़ारियों की
ये साये है, ये दुनिया है परछाइयों की
ये साये है, ये दुनिया है

यहाँ सारे चेहरे है माँगे हुए से
निगाहों में आँसू भी ताके हुए से
यहाँ सारे चेहरे है माँगे हुए से
बड़ी नीची राहें है ऊँचाइयों की
ये साये है, ये दुनिया है परछाइयों की
ये साये है, ये दुनिया है
भरी भीड़ में खाली
भरी भीड़ में खाली तन्हाइयों की
ये साये हैं ये दुनिया है
ये साये हैं ये दुनिया है

Trivia about the song Yeh Saye Hain Yeh Duniya Hai [Commentary] by Asha Bhosle

Who composed the song “Yeh Saye Hain Yeh Duniya Hai [Commentary]” by Asha Bhosle?
The song “Yeh Saye Hain Yeh Duniya Hai [Commentary]” by Asha Bhosle was composed by Gulzar, R D Burman.

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