Zara Bachke O Baliye Bachke

Sahir Ludhianvi

ज़रा बच के ओ बलिए बच के
कही पतली कमर ना लचके
तुमक ना रुक रुक के
सुन हुकुम है ये सरकारी
छीन जाएगी नंबरदारी
ना तक मुझे झुक झुक के
ज़रा बच के ओ बलिए बच के
कही पतली कमर ना लचके
ठुमक ना रुक रुक के
सुन हुकुम है ये सरकारी
छीन जाएगी नंबरदारी
ना तक मुझे झुक झुक के

तेरे दो नैनो के मारे
दर पे मारे फेरे
के आजा खिड़की में
के आजा खिड़की में
ज़रा सोच के बाते करना
भला आशिक़ का क्या मारना
जो मार जाए झिड़की में
जो मार जाए झिड़की में
ज़रा बच के ओ बलिए बच के
कही पतली कमर ना लचके
तुमक ना रुक रुक के
सुन हुकुम है ये सरकारी
छीन जाएगी नंबरदारी
ना तक मुझे झुक झुक के

तेरा कद है सॅरू का बूटा
गोरे राग ने तेरे दिल को लूटा
मेरा तो सारा जाग खो गया
मेरा तो सारा जाग खो गया
खुश रहती जो होती काली
गोरे रग ने मुसीबत डाली
की सारा जग बैरी हो गया
की सारा जग बैरी हो गया
ज़रा बच के ओ बलिए बच के
कही पतली कमर ना लचके
ठुमक ना रुक रुक के
सुन हुकुम है ये सरकारी
छीन जाएगी नंबरदारी
ना तक मुझे झुक झुक के

बनूँ मैं इक दिन दूल्हा
जले मेरे भी घर चूल्हा
ओ रब हो तो ऐसा हो
ओ रब हो तो ऐसा हो
जुड़े दिल से दिल का तनका
मुझे मिल जाए तुझसा बांका
ग़ज़ब हो तो ऐसा हो
ग़ज़ब हो तो ऐसा हो
ज़रा बच के ओ बलिए बच के
कही पतली कमर ना लचके
तुमक ना रुक रुक के
सुन हुकुम है ये सरकारी
छीन जाएगी नंबरदारी
ना तक मुझे झुक झुक के

Trivia about the song Zara Bachke O Baliye Bachke by Asha Bhosle

Who composed the song “Zara Bachke O Baliye Bachke” by Asha Bhosle?
The song “Zara Bachke O Baliye Bachke” by Asha Bhosle was composed by Sahir Ludhianvi.

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