Ramya Hi Swargahuni Lanka

G D MADGULKAR, VASANT SHANTARAM DESAI

रम्य ही स्वर्गाहून लंका
रम्य ही स्वर्गाहून लंका
हिच्या कीर्तीचा सागर लहरी
हिच्या कीर्तीचा सागर लहरी
नादविती डंका
आ आ आ
रम्य ही स्वर्गाहून लंका
रम्य ही स्वर्गाहून लंका

आ आ
सुवर्णकमला परी ही नगरी
सुवर्णकमला आ आ आ आ
सुवर्णकमला परी ही नगरी
फुलून दरवळे निळ्या सागरी
फुलून दरवळे निळ्या सागरी
त्या कमलावर चंद्र निजकरे
करितो अभिषेका
रम्य ही स्वर्गाहून लंका
रम्य ही स्वर्गाहून लंका

आ आ लक्ष्मी लंका दोघी भगिनी
लक्ष्मी लंका आ आ आ आ
लक्ष्मी लंका दोघी भगिनी
उभय उपजल्या या जलधितुनी
उभय उपजल्या या जलधितुनी
या लंकेचे दासीपद तरी
या लंकेचे दासीपद तरी
कमला घेईल का आ आ
रम्य ही स्वर्गाहून लंका
रम्य ही स्वर्गाहून लंका आ आ

Trivia about the song Ramya Hi Swargahuni Lanka by Bhimsen Joshi

Who composed the song “Ramya Hi Swargahuni Lanka” by Bhimsen Joshi?
The song “Ramya Hi Swargahuni Lanka” by Bhimsen Joshi was composed by G D MADGULKAR, VASANT SHANTARAM DESAI.

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