Kya Fark Padta Hai

Ayaz Gorakhpuri

तू झूठी तेरा वादा झूठा
तुझे क्या फर्क पड़ता है
मैं जीऊँ मर जाऊँ या मिट जाऊँ
तुझे क्या फर्क पड़ता है
ओ तू झूठी तेरा वादा झूठा
तुझे क्या फर्क पड़ता है
मैं जीऊँ मर जाऊँ या मिट जाऊँ
तुझे क्या फर्क पड़ता है
ख्वाब आंखों मे टुकड़े टुकड़े
साँसों मे है बिखरे बिखरे
कौन सा तेरा कुछ बिगड़ा है
दिल तो मेरा टूटा है
तुझे क्या फर्क पड़ता है
तुझे क्या फर्क पड़ता है

तुझमे वफा नहीं
इश्क़ तेरा झूठा है
तेरा सरापा तो
सिर्फ एक धोखा है
तुझमे वफा नहीं
इश्क़ तेरा झूठा है
तेरा सरापा तो
सिर्फ एक धोखा है
तूने भुलाके बातें
बदली हैं अपनी राहें
हर सांस पे रख दी है
तनहाई की ये रातें
तुझको गरज़ है क्या
कोई तुझपे मरता है
तुझे क्या फर्क पड़ता है
तुझे क्या फर्क पड़ता है

तुझसे दिल लगाने की
कैसी है ये सज़ा
आसूओं में बंद है
ज़िंदगी ये बेवजह
तुझसे दिल लगाने की
कैसी है ये सज़ा
आसूओं में बंद है
ज़िंदगी ये बेवजह
अपना बनाके तूने
दिल में बसाया कब था
मेरा ख्याल तुझको
वैसे भी आया कब था
तुझको है क्या इससे
दिल क्यूँ तड़पता है
तुझे क्या फर्क पड़ता है
तुझे क्या फर्क पड़ता है
तुझे क्या फर्क पड़ता है
तुझे क्या फर्क पड़ता है
तुझे क्या फर्क पड़ता है
तुझे क्या फर्क पड़ता है

Trivia about the song Kya Fark Padta Hai by Dev Negi

Who composed the song “Kya Fark Padta Hai” by Dev Negi?
The song “Kya Fark Padta Hai” by Dev Negi was composed by Ayaz Gorakhpuri.

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