Karvat Woh Zamane Ne Badli
करवट वो ज़माने ने बदली
न इधर के रहे न उधर के रहे
ग़म मरने का नहीं न जीने की ख़ुशी
न इधर के रहे न उधर के रहे
करवट वो ज़माने ने बदली
जिस बाग को सींचा था हमने
पल भर में फ़िज़ा ने लूट लिया
हाय लूट लिया
जिस बात को सींचा था हमने
पल भर में फ़िज़ा ने लूट लिया
हाय लूट लिया
मिटटी में जवानी मिलती रही
न इधर के रहे न उधर के रहे
करवट वो ज़माने ने बदली
जिस फूल को समझे फूल थे हम
अफ़सोस वही काटा निकला काटा निकला
जिस फूल को समझे फूल थे हम
अफ़सोस वही काटा निकला काटा निकला
ह्म ह्म ह्म ह्म
खिलने ही न पायी दिल की कली
न इधर के रहे न उधर के रहे
करवट वो ज़माने ने बदली
बर्बाद होना लिखा था
बर्बाद होना लिखा था
दुनिया में जो हम बर्बाद हुए
बर्बाद हुए
ह्म ह्म ह्म ह्म
तकदीर के आगे कुछ न चली
ह्म ह्म ह्म ह्म
तकदीर के आगे कुछ न चली
न इधर के रहे न उधर के रहे
करवट वो ज़माने ने बदली