Ye Faasla Jo

AHMED FARAZ, RAFIQUE HUSAIN

ये फासला जो पड़ा है
मेरे गुमान में ना था
के अबकी बार ज़माना भी
दरमियाँ में ना था
ये फासला जो पड़ा है
मेरे गुमान में ना था

कोई भी नज़्म-ए-चमन हो
ये हमने देखा है
कोई भी नज़्म-ए-चमन हो
ये हमने देखा है
सहर का नगमा-सारा
शाम-ए-आशियाँ में ना था
के अबकी बार ज़माना भी
दरमियाँ में ना था
ये फासला जो पड़ा है
मेरे गुमान में ना था

के जिसके हाथ में पत्थर
कमान में तीर ना हो
के जिसके हाथ में पत्थर
कमान में तीर ना हो
कोई भी ऐसा मेरे शहर-ए
महाबराबान में ना था
के अबकी बार ज़माना भी
दरमियाँ में ना था
ये फासला जो पड़ा है
मेरे गुमान में ना था

दुआएँ मैंने ही माँगी
थी रुत बदलने की
दुआएँ मैंने ही माँगी
थी रुत बदलने की
फ़राज़ मेरा नशेमान ही
गुलसितान में ना था
के अबकी बार ज़माना भी
दरमियाँ में ना था
ये फासला जो पड़ा है
मेरे गुमान में ना था
के अबकी बार ज़माना भी
दरमियाँ में ना था
ये फासला जो पड़ा है
मेरे गुमान में ना था

Trivia about the song Ye Faasla Jo by Ghulam Ali

When was the song “Ye Faasla Jo” released by Ghulam Ali?
The song Ye Faasla Jo was released in 2006, on the album “Saadgee”.
Who composed the song “Ye Faasla Jo” by Ghulam Ali?
The song “Ye Faasla Jo” by Ghulam Ali was composed by AHMED FARAZ, RAFIQUE HUSAIN.

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