Din Kuchh Aise Guzaarta Hai Koi
JAGJIT SINGH, GULZAR
दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई
जैसे एहसां उतारता है कोई
दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई
जैसे एहसां उतारता है कोई
दिल में कुछ यूं संभालता हूं ग़म
जैसे ज़ेवर संभालता है कोई
आइना देख कर तसल्ली हुई
हम को इस घर में जानता है कोई