Jaise Jhanna Ke Chatakh Jaaye
GULZAR
जैसे झन्ना के चटक जाए
किसी साज़ का एक तार
जैसे रेशम की किसी डोर से
कट जाती है ऊँगली
ऐसे एक सर्ब सी पड़ती है
कहीं सीने के अंदर
खींच कर तोड़नी पड़ जाती है
जब तुझसे निगाहें
तेरे जाने की घड़ी हा
बड़ी सख़्त घड़ी है