Ab Koi Khwab Sajane Mein

Vijay Sinha

अब कोई ख़्वाब सजाने में भी डर लगता है
अब कोई ख़्वाब सजाने में भी डर लगता है
लग गई मुझको जमाने की नज़र लगता है
अब कोई ख़्वाब

इसके दरवाजे पे भी सख्त निगहबानी है
इसके दरवाजे पे भी सख्त निगहबानी है
ये भी अपने किसी महबूब का घर लगता है
ये भी अपने किसी महबूब का घर लगता है
लग गई मुझको जमाने की नज़र लगता है
अब कोई ख़्वाब

रास्ते टोकते है रास्ता चलते मुझको, ओ ओ ओ
रास्ते टोकते है रास्ता चलते मुझको
ओ ओ ओ, रास्ते टोकते है रास्ता चलते मुझको
ये भी रखते है मेरी खोज ख़बर लगता है
ये भी रखते है मेरी खोज ख़बर लगता है
लग गई मुझको जमाने की नज़र लगता है
अब कोई ख़्वाब

अब मेरा नाम तेरे लब पे न आयेगा कभी
अब मेरा नाम तेरे लब पे न आयेगा कभी
तेरी बातों में ज़माने का असर लगता है
तेरी बातों में ज़माने का असर लगता है
लग गई मुझको जमाने की नज़र लगता है
अब कोई ख़्वाब

Trivia about the song Ab Koi Khwab Sajane Mein by Hariharan

When was the song “Ab Koi Khwab Sajane Mein” released by Hariharan?
The song Ab Koi Khwab Sajane Mein was released in 1987, on the album “Reflections”.
Who composed the song “Ab Koi Khwab Sajane Mein” by Hariharan?
The song “Ab Koi Khwab Sajane Mein” by Hariharan was composed by Vijay Sinha.

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