Pathar Sulag Rahe The

Mumtaz Rashid

पत्थर सुलग रहे थे कोई नक्श-ए-पा ना था
पत्थर सुलग रहे थे कोई नक्श-ए-पा ना था
हम जिस तरफ चले थे उधर रास्ता ना था
पत्थर सुलग रहे थे

यू देखती हैं गुमशुदा लम्हों के मोड़ से
यू देखती हैं गुमशुदा लम्हों के मोड़ से
इस जिंदगी से जैसे कोई वास्ता ना था
इस जिंदगी से जैसे कोई वास्ता ना था, आ आ आ
हम जिस तरफ चले थे उधर रास्ता ना था
पत्थर सुलग रहे थे

परछाईयों के शहर की तन्हाईया ना पूछ
परछाईयों के शहर की तन्हाईया ना पूछ
अपना शरीक-ए-गम कोई अपने सिवा ना था, आ आ आ
हम जिस तरफ चले थे उधर रास्ता ना था
पत्थर सुलग रहे थे

पत्तों के टूटने की सदा घुट के रह गई
पत्तों के टूटने की सदा घुट के रह गई
जंगल में दूर दूर हवा का पता ना था
जंगल में दूर दूर हवा का पता ना था
हम जिस तरफ चले थे उधर रास्ता ना था, आ आ आ
पत्थर सुलग रहे थे कोई नक्श-ए-पा ना था
पत्थर सुलग रहे थे

Trivia about the song Pathar Sulag Rahe The by Hariharan

When was the song “Pathar Sulag Rahe The” released by Hariharan?
The song Pathar Sulag Rahe The was released in 2008, on the album “Ghazal Ka Mausam”.
Who composed the song “Pathar Sulag Rahe The” by Hariharan?
The song “Pathar Sulag Rahe The” by Hariharan was composed by Mumtaz Rashid.

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