Telephone [Jhankar]
टेलिफोन ढूँ में हँसने वाली
मेल्बर्न मच्हली मचलने वाली
डिजिटल मे सुर है तराशा
मडोना है या नताशा
ज़ाकिर हुसैन तबला तू है क्या
सोना सोना तेरा चमके रूप सलोना
सोना सोना सेल्युलर फोन तुम तो हो ना
कंप्यूटर को ले कर ब्रम्हा ने रचाया क्या
टेलिफोन ढूँ में हँसने वाली
मेल्बर्न मच्हली मचलने वाली
तुम ना होते तो धूप नही होती
रिमझिम भी नही होती
तुम ना होते तो चाँद नही होता
सपना भी नही सजाता
तुम को पुकारा साँसे खुश्बू
फैला रही मेरी
तुमसे बिच्छड़ा तो बहती
हवाए बाद हो गयी क्यूँ
पानी ना होता झरने
ना होते ये वाडी ना होती
मिलता ना तू तो मेरी
जान नही होती ये प्यास नही होती
गोरी नादिया अपने मे
हर दिन मुझको डुबना
तुम ना शरमाना ज़ुल्फो मे
अपनी खुद को च्छूपा लेना
टेलिफोन ढूँ में हँसने वाली
मेल्बर्न मच्हली मचलने वाली
नाम तेरा किसी को लेने नही दूँगा
वो सुख भी नही दूँगा
गजरा तुम्हारा गिरने नही दूँगा
मुरझाने नही दूँगा
मेरे अलावा किसी औरत
को ना पास बुलाना
तुम ना कभी भी मदर टेरेसा
को छ्चोड़ के नाम ना लेना
तेरी गलियो में कोई मर्द ना
छ्चोड़ूँगा औरत भी ना छ्चोड़ूँगा
तेरी हँसी को उड़ने नही दूँगा
मेरे दिल में बसा लूँगा
शोरुम में साजन औरत की
मूरत च्छुने ना दूँगी
जीवन में प्रीतम तुम्हे
प्यार की रेखा पर करने ना दूँगी
टेलिफोन ढूँ में हँसने वाली
मेल्बर्न मच्हली मचलने वाली
डिजिटल में सुर है तराशा
मडोना है या नताशा
ज़ाकिर हुसैन तबला तू है क्या
सोना सोना तेरा चमके रूप सलोना
सोना सोना सेल्युलर फोन तुम तो हो ना
कंप्यूटर को ले कर ब्रम्हा ने रचाया क्या.