Teri Mitti [Unplugged]

ManojMuntashir Shukla, Arkapravo Mukherjee

ओ रांझना वे तेरी सांसो पे
थोडा सा वतन का भी हक था
ना देख मुझे यूं मुड़-मुड़ के
तेरा-मेरा साथ यही तक था

ये तेरी जमीन तेरे खून से ही
तो सजती सँवारती है रांझे
तेरे इश्क कि मैं हकदार नहीं
तेरी हीर तो धरती है रांझे
हाये

तेरी मिट्टी में मिल जांवा
गुल बनके मैं खिल जांवा
इतनी सी है दिल की आरज़ू

तेरी नदियों में बह जांवा
तेरी खेतों में लहरावां
इतनी सी है दिल की आरज़ू
हम्म हम्म हम्म

ऐ मेरी जमीन अफसोस नही
जो तेरे लिये सौ दर्द सहे
महफूज रहे तेरी आन सदा
चाहे जान मेरी ये रहे ना रहे

ऐ मेरी जमीन मेहबूब मेरी
मेरी नस नस मे तेरा इश्क बहे
फिका ना पडे कभी रंग तेरा
जिस्मों से निकल के खून कहे
हाये

तेरी मिट्टी में
गुल बनके मैं
इतनी सी है दिल की आरज़ू

हो तेरी नदियों में बह जांवा
तेरी फासलों में लहरावां
इतनी सी है दिल की आरज़ू हाये

Trivia about the song Teri Mitti [Unplugged] by Jannat

Who composed the song “Teri Mitti [Unplugged]” by Jannat?
The song “Teri Mitti [Unplugged]” by Jannat was composed by ManojMuntashir Shukla, Arkapravo Mukherjee.

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