Na Leke Jao

Gulzar

ना ले के जाओ मेरे दोस्त का जनाज़ा है
ना ले के जाओ मेरे दोस्त का जनाज़ा है
अभी तो गर्म है मिट्टी यह जिस्म ताज़ा है
अभी तो गर्म है मिट्टी यह जिस्म ताज़ा है
ना ले के जाओ मेरे दोस्त का जनाज़ा है

उलझ गयी है कही सांस खोल दो इस की
लबो पे आई है जो बात पूरी करने दो
बात पूरी करने दो
अभी उम्मीद भी ज़िंदा है, गम भी ताज़ा है
ना ले के जाओ मेरे दोस्त का जनाज़ा है
अभी तो गर्म है मिट्टी यह जिस्म ताज़ा है

हो हो
हो हो हो हो

जगाओ इसको गले मिल के अलविदा तो कहु
यह कैसी रुखसती है, यह क्या सलीका है
यह क्या सलीका है
अभी तो जीने का हर एक जख्म ताज़ा है
ना ले के जाओ मेरे दोस्त का जनाज़ा है
अभी तो गर्म है मिट्टी यह जिस्म ताज़ा है

हो (ओ ओ)
हो (ओ ओ)
हो (ओ ओ)
हो (ओ ओ)

Trivia about the song Na Leke Jao by Jaspinder Narula

Who composed the song “Na Leke Jao” by Jaspinder Narula?
The song “Na Leke Jao” by Jaspinder Narula was composed by Gulzar.

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