Sau Rab Di

Manan Bhardwaj

जब से ये दिल तेरा हुआ
तब से समय मेरा ठहरा हुआ
इतना क्यों चमके चाँद यहाँ पर
चाँद भी जैसे तेरा चेहरा हुआ
आ ओढ़ ले हम बादल की चादर
और छुप ही जाए जन्नत में ही
इश्क़ जहाँ हो और जहाँ खुदा हो
वही पे ख़रीदे अपनी ज़मीन
तू इबादत हैं तू ही हैं रेहमत मेरी
बस तू यूँ ही संग चलती रहना
तू इबादत हैं तू ही हैं रेहमत मेरी
बस तू यूँ ही संग चलती रहना

सौ रब दी मैं तुझको ही चाहवा
जितनी बची जींद तुझपे लुटावा
सौ रब दी मैं तुझको ही चाहवा
जितनी बची जींद तुझपे लुटावा
नाम तेरे दी रट मैं लगावा
तू जो हसे तो हीर मनावा

तू इबादत हैं तू ही हैं रेहमत मेरी
बस तू यूँ ही संग चलती रहना

हाँ कितना हैं ख़ूबसूरत
चाँद सा चेहरा तेरा
आज से पहले दिखा क्यूँ नहीं
आज जो मिला तुझमें
मेहँदी का रंग ये
आज से पहले ये मिला क्यूँ नहीं
ऐसे देखा नहीं मैंने तुझको कभी
जैसे देख रहा हूँ मैं आज
मुझको तेरी कसम मैं अधूरा सा हूँ
मुझको पूरा तू कर दे आज

सौ रब दी मैं तुझको ही चाहवा
जितनी बची जींद तुझपे लुटावा
नाम तेरे दी रट मैं लगावा
तू जो हसे तो हीर मनावां
तू इबादत हैं तू ही हैं रेहमत मेरी
बस तू यूँ ही संग चलती रहना

Trivia about the song Sau Rab Di by Jubin Nautiyal

Who composed the song “Sau Rab Di” by Jubin Nautiyal?
The song “Sau Rab Di” by Jubin Nautiyal was composed by Manan Bhardwaj.

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