Gori - Acoustic Version

Samiir

हम्म हम्म हम्म
गोरी सब छड़ के, चली सज धज के
सच क्या हैं तुझे ना पता
चली सबसे तू बचके, रज्ज रज्ज रज्ज के
आँखों से तू परदा हटा
जिसके लिए तू ज़माने को भूली
तुझको वो कबका भूल चुका
जानता था सारी बात
तुझसे पहली मुलाक़ात में कहा था, कहा था, कहा था
तूने ना मानी मेरी बात
सोचता था माँगने हाथ
कैसे ये मैं समझता समझता समझता
गोरी सब छड़ के, चली सज धज के
सच क्या हैं तुझे ना पता
चली सबसे तू बचके, रज्ज रज्ज रज्ज के
आँखों से तू परदा हटा आ आ
ओ ओ

ए काश के चाहती तू मुझको
लूटा मैं देता तुझीपे खुदको
मैं बेबस कितना
मेरे लिए रोकू ना मैं तुझको
तेरी खुशी ही प्यारी है मुझको
तू समझ इतना
ज़िंदगी का सवाल, तू ना बन इतनी नादान
इस बारी ठहेर जा ठहेर जा
हाँ बहा तू आबशार
हो जाऊ तुझपे निसर
इस पल तो संभल जा संभल जा संभल जा
गोरी सब छड़ के, चली सज धज के
सच क्या हैं तुझे ना पता
चली सबसे तू बचके, रज्ज रज्ज रज्ज के
आँखों से तू परदा हटा
हम्म आँखों से तू परदा हटा
हम्म आँखों से तू परदा हटा
हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म

Trivia about the song Gori - Acoustic Version by KT Gorique

Who composed the song “Gori - Acoustic Version” by KT Gorique?
The song “Gori - Acoustic Version” by KT Gorique was composed by Samiir.

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