Tum Jab Bhi Khat
तुम जब भी खत पढ़ोगे
मेरा मुश्कुराओगे
नाराज़ हो गये तो
घभरा के आओ गे
तुम जब भी खत पढ़ोगे
मेरा मुश्कुराओगे
तुम जब भी खत
पढ़ोगे मेरा
बेचैन किस कदर
हो फ़िज़्ज़व से पुच्छ लो
इनाती जाती हवओ से पुचछा लो
आईना देखाओ में ही
नज़र आऔगा तुम्हे
अगर हो सके तो अपनी
निगाहो से पुकछ लो
निगाहो से पुकछ लो
तुम जब भी खत पढ़ोगे
मेरा मुश्कुराओगे
नाराज़ हो गये तो
घभरा के आओ गे
तुम जब भी
खत पढ़ोगे मेरा
हर फूल मुझको जखम की
सूरत हैं जानेमन
लगता नही हैं दिल
मेरा रंगीन बाहर में
जब तुम नही हो साथ तो
बेकैफ़ ज़िंदगी
घभरके मारजौना सनम
इंतज़ार में इंतज़ार में
तुम जब भी खत पढ़ोगे
मेरा मुश्कुराओगे
नाराज़ हो गये तो
घभरा के आओ गे
तुम जब भी खत
पढ़ोगे मेरा
तुम जब भी खत पढ़ोगे
तुम जब भी खत पढ़ोगे मेरा