Janeya
Mitraz
क्या ही रखूं मैं
इस दिल में भी तेरे अलावा
लम्हे बिताऊं कैसे दिन में भी
समझ ही ना आ रहा
ऐसा हो जाए के तुम पास आओ और
ये दुनिया वहीं थम जाए
सागर किनारे से मुझको पुकारो और
बाकी आवाजें यूँ थम जाएं
तो जानेया समझ जाऊंगा
सारे जहां से लड़ जाऊंगा
चारों दीवारें तुने हैं ढाल दी
तन्हाइयों की
तुने दिखाई मुझको चाँदनी
सुनी रातों में
ऐसा हो जाए के तुम पास आओ और
ये दुनिया वहीं थम जाए
सागर किनारे से मुझको पुकारो और
बाकी आवाजें यूँ थम जाएं
तो जानेया समझ जाऊंगा
सारे जहां से लड़ जाऊंगा