Wo Tha Mere Shaher Me

Sawab, Nawab, Aftaab, Amina Israr

मेरे शहर मेआकर भी तुम क्यों न मिले
क्यों रोक दिए तुमने आशकी के सिलसिले
दिल तोडना ही था तो लगाया ही क्यों था
मुँह मोड़ना ही था तो बुलाया ही क्यों था

वो था मेरे शहर में मुलाक़ात ना हुई
वो था मेरे शहर में मुलाक़ात ना हुई
जो बात लाज़मी थी वही बात ना हुई
वो था मेरे शहर में मुलाक़ात ना हुई
जो बात लाज़मी थी वही बात ना हुई
कल देर तक रुकी थी ये शाम सुहानी
अहसास लिख रहे थे मेरे प्यार की कहानी
घिर-घिर के घटा छाई बरसात ना हुई
जो बात लाज़मी थी वही बात ना हुई

दस्तक दिल पर थी आहट थी राहतों की
सरगोशियां सुनी सौबार चाहतों की
दस्तक दिल पर थी आहट थी राहतों की
सरगोशियां सुनी सौबार चाहतों की
जज़बात का समंदर साहिल पर रुक गया है
सजदे में ख़ुदा के सर मेरा झुक गया है
मेरा चाँद खो गया है मेरी रात ना हुई
जो बात लाज़मी थी वही बात ना हुई

यहीं आसपास है वो धड़कन बता रही है
मेरी छत पे संग हवा की ख़ुशबू वो आ रही है
यहीं आसपास है वो धड़कन बता रही है
मेरी छत पे संग हवा की ख़ुशबू वो आ रही है
बेताबियां नज़र की बढ़ती ही जा रही है
अब इश्क़ की ख़ुमारी चढ़ती ही जा रही है
हाथों की दो लकीरें कभी साथ ना हुई
जो बात लाज़मी थी वही बात ना हुई
वो था मेरे शहर में मुलाक़ात ना हुई
जो बात लाज़मी थी वही बात ना हुई
हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो

Trivia about the song Wo Tha Mere Shaher Me by Mohammed Irfan

Who composed the song “Wo Tha Mere Shaher Me” by Mohammed Irfan?
The song “Wo Tha Mere Shaher Me” by Mohammed Irfan was composed by Sawab, Nawab, Aftaab, Amina Israr.

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