Durge Durghat Bhari

Traditional, Yeshwant Deo

दुर्गे दुर्घट भारी तुजविण संसारी

अनाथनाथे अंबे करुणा विस्तारी

वारी वारीं जन्ममरणाते वारी

हारी पडलो आता संकट नीवारी

जय देवी जय देवी

जय देवी जय देवी जय महिषासुरमथनी (जय देवी जय देवी जय महिषासुरमथनी)
सुरवरईश्वरवरदे तारक संजीवनी (सुरवरईश्वरवरदे तारक संजीवनी)

जय देवी जय देवी

त्रिभुवनी भुवनी पाहतां तुज ऎसे नाही

चारी श्रमले परंतु न बोलावे काहीं

साही विवाद करितां पडिला प्रवाही

ते तूं भक्तालागी पावसि लवलाही

जय देवी जय देवी

जय देवी जय देवी जय महिषासुरमथनी (जय देवी जय देवी जय महिषासुरमथनी)
सुरवरईश्वरवरदे तारक संजीवनी (सुरवरईश्वरवरदे तारक संजीवनी)

जय देवी जय देवी

प्रसन्न वदने प्रसन्न होसी निजदासां

क्लेशापासूनि सोडी तोडी भवपाशा

अंबे तुजवांचून कोण पुरविल आशा

नरहरि तल्लिन झाला पदपंकजलेशा

जय देवी जय देवी

जय देवी जय देवी जय महिषासुरमथनी (जय देवी जय देवी जय महिषासुरमथनी)
सुरवरईश्वरवरदे तारक संजीवनी (सुरवरईश्वरवरदे तारक संजीवनी)

जय देवी जय देवी

Trivia about the song Durge Durghat Bhari by Mohan

Who composed the song “Durge Durghat Bhari” by Mohan?
The song “Durge Durghat Bhari” by Mohan was composed by Traditional, Yeshwant Deo.

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