Safar

KAUSHAL KISHORE, VISHAL MISHRA

ओह बन्देया
ढूंढे है क्या
राहें तेरी
है घर तेरा
चलना वहाँ
जाना वहाँ
खुद तक कहीं
पहुंचे जहां
कदम उठा और साथ में हो ले
शहर शहर ये तुझसे देखो बोले
टुकुर टुकुर यूँ अपने नैना खोले
ज़िन्दगी पी ले ज़रा
बहती हवाओं के
जैसे हैं इरादे
उड़ते परिंदों से
सीखी हैं जो बातें
अनजानी राहों पे कोई
मैं चला
मैं सफ़र में हूँ
खोया नहीं
मैं सफ़र में हूँ
खोया नहीं
मैं सफ़र में हूँ
खोया नहीं
मैं सफ़र में हूँ
खोया नहीं

थोड़ा आगे बढ़ें
मैंने जाना ये
सच है तो क्या है
उलझे उलझे
सब सवाल
ज़िन्दगी है ये क्या
मैं कौन हूँ
मैंने ये जाना
मुझे मिल ही गए
सब जवाब
देखो ना हवा कानों में मेरे कहती क्या
बोली वेख फरीदा मिट्टी खुली
मिट्टी उत्ते फरीदा मिट्टी ढूल्ली
चार दिन दा जी ले मेला दुनिया
फिर जाने होना क्या
बहती हवाओं के जैसे हैं इरादे
उड़ते परिंदों से सीखी हैं जो बातें
अनजानी राहों पे कोई
मैं चला
मैं सफ़र में हूँ
खोया नहीं
मैं सफ़र में हूँ
खोया नहीं
ओ ओ

ये कैसा सफ़र है
जो यूँ डूबा रहा
जाता हूँ कहीं मैं
या लौट के आ रहा
वो चेहरे वो आँखें
वो यादें पुरानी मुझे पूछती
ये नदिया का पानी भी बहता है
कहता येही
मैं सफ़र में हूँ
खोया नहीं
मैं सफ़र में हूँ
खोया नहीं
मैं सफ़र में हूँ
खोया नहीं
मैं सफ़र में हूँ
खोया नहीं
खोया नहीं
खोया नहीं
खोया
खोया
खोया
खोया नहीं
मैं सफ़र में हूँ
खोया नहीं

Trivia about the song Safar by Mohit Chauhan

Who composed the song “Safar” by Mohit Chauhan?
The song “Safar” by Mohit Chauhan was composed by KAUSHAL KISHORE, VISHAL MISHRA.

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