Do Roz Mein Woh Pyar Ka Aalam

KANU GHOSH, PREM DHAWAN

दो रोज़ में वो प्यार का आलम गुजर गया
दो रोज़ में वो प्यार का आलम गुजर गया
बरबाद करने आया था बरबाद कर गया
दो रोज़ में

बस इतनी सी है दास्तां बचपन के प्यार की
बस इतनी सी है दास्तां बचपन के प्यार की
दो फूल खिलते खिलते ही गुलशन उजड़ गया
गुलशन उजड़ गया
दो रोज़ में वो प्यार का आलम गुजर गया
बरबाद करने आया था बरबाद कर गया
दो रोज़ में

लेके सहारा याद का कब तक कोई जिये
लेके सहारा याद का कब तक कोई जिये
ऐ मौत आ के ज़िन्दगी से दिल ही भर गया
दिल ही भर गया
दो रोज़ में वो प्यार का आलम गुजर गया
बरबाद करने आया था बरबाद कर गया
दो रोज़ में

Trivia about the song Do Roz Mein Woh Pyar Ka Aalam by Mukesh

Who composed the song “Do Roz Mein Woh Pyar Ka Aalam” by Mukesh?
The song “Do Roz Mein Woh Pyar Ka Aalam” by Mukesh was composed by KANU GHOSH, PREM DHAWAN.

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