Kaun Kaun Kitne Pani Mein

Shankar-Jaikishan, Varma Malik

सब से बड़ा नादान वही है जो समझे नादान मुझे
सब से बड़ा नादान वही है जो समझे नादान मुझे
कौन कौन कितने पानी में सब की है पहचान मुझे
सब से बड़ा नादान वही है जो समझे नादान मुझे
कौन कौन कितने पानी में सब की है पहचान मुझे
सब से बड़ा नादान वही है

दौलत है तेरे कदमों में क़िस्मत है तेरे हाथों में
खुशियाँ है तेरी पलकों में मस्ती है तेरी आँखों में
सब कुछ तुझको मालिक ने दिया मैं तुझको क्या दे सकता हूँ
इक रूप को भेट की रिश्वत देना लगता है अपमान मुझे
कौन कौन कितने पानी में सब की है पहचान मुझे
सब से बड़ा नादान वही है

कोई शान की खातिर पैसे को पानी की तरह बहाता है
कही बिन क़ीमत मालिक का दिया पानी पैसे से बिकता है
इस सभा की सुन्दर चेहरों से रौनक तो बढती है लेकिन
रौनक वाले चेहरों के पीछे मिले है दिल सुनसान मुझे
कौन कौन कितने पानी में सब की है पहचान मुझे
सब से बड़ा नादान वही है

धर्म कर्म सभ्यता मर्यादा नज़र ना आई मुझे कही
गीता ज्ञान की बाते देखो आज किसी को याद् नहीं
माफ़ मुझे कर देना भाइयो झूठ नहीं मैं बोलूंगा
वही कहूँगा आपसे जो गीता से मिला है ज्ञान मुझे
कौन कौन कितने पानी में सब की है पहचान मुझे
सब से बड़ा नादान वही है जो समझे नादान मुझे
कौन कौन कितने पानी में सब की है पहचान मुझे
सब से बड़ा नादान वही है

Trivia about the song Kaun Kaun Kitne Pani Mein by Mukesh

Who composed the song “Kaun Kaun Kitne Pani Mein” by Mukesh?
The song “Kaun Kaun Kitne Pani Mein” by Mukesh was composed by Shankar-Jaikishan, Varma Malik.

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