Main To Ek Khwab Hoon [Revival]

ANANDJI V SHAH, KALYANJI VIRJI SHAH, QAMAR JALALABADI

मैं तो एक ख्वाब हूँ
इस ख्वाब से तू प्यार ना कर
मैं तो एक ख्वाब हूँ
इस ख्वाब से तू प्यार ना कर
प्यार हो जाए तो
फिर प्यार का इजहार ना कर
मैं तो एक ख्वाब हूँ

ये हवाएं कभी चुपचाप चली जायेंगी
लौट के फिर कभी गुलशन में नहीं आयेंगी
अपने हाथों में हवाओं को गरिफ्तार न कर
अपने हाथों में हवाओं को गरिफ्तार न कर
मैं तो एक ख्वाब हूँ

तेरे दिल में है मोहब्बत के भड़कते शोले
अपने सीने में छुपा ले ये धड़कते शोले
इस तरह प्यार को रुसवा सर-ए-बाज़ार न कर
इस तरह प्यार को रुसवा सर-ए-बाज़ार न कर
मैं तो एक ख्वाब हूँ

शाख से टूट के गूंचे भी कहीं खिलते हैं
रात और दिन भी ज़माने में कहीं मिलते हैं
भूल जा, जाने दे, तकदीर से, तकरार न कर
भूल जा, जाने दे, तकदीर से, तकरार न कर
मैं तो एक ख्वाब हूँ इस ख्वाब से तू प्यार ना कर
मैं तो एक ख्वाब हूँ

Trivia about the song Main To Ek Khwab Hoon [Revival] by Mukesh

Who composed the song “Main To Ek Khwab Hoon [Revival]” by Mukesh?
The song “Main To Ek Khwab Hoon [Revival]” by Mukesh was composed by ANANDJI V SHAH, KALYANJI VIRJI SHAH, QAMAR JALALABADI.

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