Naiya Padi Majhadhar

KABIR, MURLI MAHOHAR SWARUP

आ आ आ आ नैया पड़ी मंझधार
गुरु बिना कैसे लागे पार
नैया पड़ी मंझधार

मैं अपराधी जनम को
मन में भरा विकार
तुम दाता, दुःख भंजना
मेरी करो संभार
अवगुण दास कबीर के
बहुत गरीब नवाज
जो मैं पूत कपूत हूँ
जो मैं पूत कपूत हूँ
कहु पिता की लाज
गुरु बिन कैसे लागे पार
नैया पड़ी मंझधार
गुरु बिना कैसे लागे पार
नैया पड़ी मंझधार
साहिब तुम मत भूलियो
लाख लोग लग जाहि
साहिब तुम मत भूलियो
हम से तुम्हरे बहुत हैं
तुम से हमरे नाही
अन्तर्यामी एक तुम
आतंम के आधार
जो तुम छोड़ो हाथ प्रभु जी
जो तुम छोड़ो हाथ प्रभु जी
कौन उतारे पार
गुरु बिन कैसे लागे पार
नैया पड़ी मंझधार

Trivia about the song Naiya Padi Majhadhar by Mukesh

Who composed the song “Naiya Padi Majhadhar” by Mukesh?
The song “Naiya Padi Majhadhar” by Mukesh was composed by KABIR, MURLI MAHOHAR SWARUP.

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