Zuban Pe Dard Bhara Dastan [Revival]

ANAND BAKSHI, ANANDJI V SHAH, KALYANJI VIRJI SHAH

ज़ुबाँ पे दर्द भरी दास्ताँ चली आई
ज़ुबाँ पे दर्द भरी दास्ताँ चली आई
बहार आने से पहले ख़्हिज़ाँ चली आई
ज़ुबाँ पे दर्द भरी दास्ताँ चली आई

ख़ुशी की चाह में मैं ने उठाये रंज बड़े
ख़ुशी की चाह में मैं ने उठाये रंज बड़े
मेरा नसीब की मेरे क़दम जहाँ भी पड़े
ये बदनसीबी मेरी भी वहाँ चली आई
ज़ुबाँ पे दर्द भरी दास्ताँ चली आई

उदास रात है वीरान दिल की महफ़िल है
उदास रात है वीरान दिल की महफ़िल है
न हम्सफ़र है कोई और न कोई मंज़िल है
ये ज़िंदगी मुझे लेकर कहाँ चली आई
ज़ुबाँ पे दर्द भरी दास्ताँ चली आई
बहार आने से पहले ख़्हिज़ाँ चली आई
ज़ुबाँ पे दर्द भरी दास्ताँ चली आई

Trivia about the song Zuban Pe Dard Bhara Dastan [Revival] by Mukesh

Who composed the song “Zuban Pe Dard Bhara Dastan [Revival]” by Mukesh?
The song “Zuban Pe Dard Bhara Dastan [Revival]” by Mukesh was composed by ANAND BAKSHI, ANANDJI V SHAH, KALYANJI VIRJI SHAH.

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