Kaisay Jiyein

Mustafa Zahid

औ औ औ औ औ

ये मेरे दिल का जाना
इक आखिरी फैसला है
अब साथ होगा ना तेरा
ये दर्द की इन्तेहा है
था प्यार मेरा तो झूठा
सचा मगर ये खुदा है
तन्हाइयो मे हु रोया
तब जा के मुझको मिला है
दुनिया के रिश्तो मे तो
ये होता हि रहा है
लैला और मजनू भी तो
इक दुसरे से जुदा है
छोड़ गया
मुझको अधुरा यहा
क्या ये वफा है
या कोई इम्तेहा
कैसे जिये कीस से कहे
क बसे शुरू ये सिलसिले
जिन के निशान अब मिल रहे
वो ना यहा क्या मिल रहे ना ना ना

यु रोंड कर मेरी वफा
तुझको बता मिला है क्या
धड़कन मेरी भटक रही
है सांस भी अटक रही
इन फासलो मे भी मुझको
लगता नही तो जुदा है
क्यू तोडा तुने ये रिश्ता
ये तेरी कैसे अदा है
तेरा पता मे ना जानो
अब कीस से मांगू सिला मे
क्या प्यार मे तेरे खोया
करता हु खुद से गिला मे
क्या ये होया क्या मेरी थी सजा
तू लुट ए दिल देता है सदा
कैसे जिये कीस से कहे
कब से शुरू ये सिलसिले
जीन के निशान अब मिल रहे
वो ना यहा क्यू मिल रहे है

कैसे जिये कीस से कहे
कब से शुरू ये सिलसिले
जीन के निशान अब मिल रहे
वो ना यहा क्यू मिल रहे

ना ना ना ना ना ना ना ना ना
ना ना ना ना ना ना ना ना ना

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