Pari

Hussain Haidry

ख्वाब में थी जो परी
नींद टूटी तो खो गयी
ना ज़मीन ना आसमान
वो हवाओं की हो गयी

ज़िद है मेरी आँखों की ये
फिर से मिले आ कर मुझे
ख्वाबों की वो परी

इक निशा रह गया
मेरे ज़हन पर वहीं
छू गयी थी जहाँ ज़िंदगी

पूछते फिर रहे
सारे सवालों में हम
है भला अब कहाँ ज़िंदगी

ज़िद है मेरी साँसों की ये
फिर से उन्हें आ थाम ले
ख्वाबों की वो परी ख्वाबों की वो परी

वक़्त की, राह पर
कोई भी ऐसा ना था
जानता था तेरा जो पता

हर घड़ी, बढ़ रहा
ये बीच का फासला
तू कहाँ है तू ही अब बता

ज़िद है मेरी बाहों की यह
फिर से लगे आ के गले
ख्वाबों की वो परी ख्वाबों की वो परी
ख्वाबों की वो परी
ख्वाब में थी जो परी
नींद टूटी तो खो गयी
ना ज़मीन ना आसमान
वो हवाओं की हो गयी

ज़िद है मेरी आँखों की ये
फिर से मिले आ कर मुझे
ख्वाबों की वो परी

Trivia about the song Pari by Neeti Mohan

Who composed the song “Pari” by Neeti Mohan?
The song “Pari” by Neeti Mohan was composed by Hussain Haidry.

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