Jisko Dekho Maiqade Ke Simt
ये शराबे नाब ये
मास्तो की मजदूरे नज़र
क्या मुबारक शे दी
जिनसे आम होकर रह गयी
जब से कंज़र कम के
पल्ले पद गयी ये दिल रुब्बा
को जाो बाज़ार में
बाद नाम होकर रह गयी
जिसको देखो मैकड़े की
सिम्त भगा आए हैं
जिसको देखो मैकड़े की
सिम्त भगा आए हैं
किसका किसका गम करेगी
दूर बेचारी शराब
पीने वालो को बहेकते
देखते शरमाये हैं
किसका किसका गम करेगी
दूर बेचारी शराब
किसका किसका गम करेगी
दूर बेचारी शराब
क्या सलीका था कभी जब
जाम च्चालका देते लोगो
इस में भी एक शाम थी जब
पीक लहराते थे लोग
इक्का दुक्का च्छूप च्छुपाकर
इश्स तरफ आते थे लोग
अब तो इश्स माशूक पे
हर शक़स की नीयत खराब
किसका किसका गम करेगी
दूर बेचारी शराब
किसका किसका गम करेगी
दूर बेचारी शराब
वक़्त के मारे हुए कुछ
इश्क़ के मारे हुए
कुछ ज़माने से कुछ
अपने आप से हारे हुए
लोग तो इश्स मैं के आशिक़
जान कर सारे हुए
कोई तो कटरा का तालीम
कोई माँगे बेहिसाब
किसका किसका गम करेगी
दूर बेचारी शराब
जिसको देखो मैकड़े की
सिम्त भगा आए हैं
किसका किसका गम करेगी
दूर बेचारी शराब
जो हसीने गम हुआ
उसको तो अक्सर चाहिए
जिसको कोई गम नही
उसको भी सावर चाहिए
जिसको इक कटरा मिला
उसको समंदर चाहिए
एक नाझुक सी परी
झेलेंगी कितनो के औज़ार
किसका किसका गम करेगी
दूर बेचारी शराब
किसका किसका गम करेगी
दूर बेचारी शराब
राह तकता होगा
दिल का नज़राना लिए
ज़ुलफ में मस्ती लिए
होतो पे पैमाना लिए
प्यास आँखों में लिए
आँचल में मैखना लिए
मैकड़े की राह छ्चोड़ो
घर चलो आली ज़ालाल
किसका किसका गम करेगी
दूर बेचारी शराब
जिसको देखो मैकड़े की
सिम्त भगा आए हैं
किसका किसका गम करेगी
दूर बेचारी शराब
पीने वालो को बहेकते
देखते शरमाये हैं
किसका किसका गम करेगी
दूर बेचारी शराब
किसका किसका गम करेगी
दूर बेचारी शराब
किसका किसका गम करेगी
दूर बेचारी शराब