Bus Ek Baar
हैं चेहरे पे तेरे शिकन
हैं चेहरे पे मेरे फिकर
हैं चेहरे पे तेरे झिझक
हैं चेहरे पे मेरे शिकाश्ट
हम कह रहे की तोड़ा समझ
वो कहते की होगा नही अब
हम बोले की बोलो ना तोड़ा
वो ज़ालिम तहे, और बोला नही लब
रूठ-ता गया वो
और साथ में टूट-ता गया मैं
समुंदर तहा घाम का च्चिपा मेरे अंदर
और उससी में डूबता गया मैं
छीन लो सब कुछ भले ही
मुझे सुकून का पता दो
ना इंसाफी हुई मेरे साथ है इश्क़ में
कोई क़ानून का पता दो
फिरता इधर से उधर
रहता भटका सा मैं
बिन तेरे तो बस अब हैं काट-ता समय
आनसून इन्न आँखों में जलसा करे
घर भी मुझे क्यूँ हैं घर ना लगे
घर भी मुझे क्यूँ हैं घर ना लगे
घर भी मुझे क्यूँ हैं घर ना लगे
बस एक बार
मेरी तरफ तो तू देखता
बस एक बार
आँखें ना मुझसे तू फेरता
बस एक बार
मेरी तरफ तो तू देखता
बस एक बार
आँखें ना मुझसे तू फेरता
हम कहना तो चाहते हैं काफ़ी कुछ
पर तेरी बुराई नही होती
लिखता हूँ ज़्यादा आजकल तेरे बारे
पर पढ़ाई नही होती
बाहर से दिखते हैं ना जो ज़ख़्म
उनकी दवाई नही होती
लाखों कमाए पर साथ में तू
ना तो लगता की मेरी कमाई नही होती
काश
तू आई नही होती
तो बैठा होता मैं सुकून से कहीं
ना खोता मैं जीने का मकसद
और दिन के उजाले में रोशनी ढूनडते नही
छ्चाँव ही नही हैं धूप हर कहीं
रब देखे तमाशे बैठ उपर कही
खुश्बू में तेरी हूँ रहता डूबा
जैसे गयी हो मुझे तू च्छू कर अभी
काश
तू आता ही ना
तो ये गाना मैं शायद फिर गाता ही ना
और काश
तू आया भी तहा
तो छ्चोड़ के मुझे यून जाता ही ना
तू जाता ही ना
छ्चोड़ के मुझे तू जाता ही ना
पर शायद से तुझे तो जाना ही तहा
छोड़ के मुझे यून जाना ही तहा
बस एक बार
मेरी तरफ तो तू देखता
बस एक बार
बस एक बार
आँखें ना मुझसे तू फेरता
बस एक बार
मेरी तरफ तो तू देखता
बस एक बार
आँखें ना मुझसे तू फेरता