Duniya

Piyush Mishra

ओ री दुनिया
ओ री दुनिया
ओ री दुनिया

हे, सुरमई आँखों के प्यालों की दुनिया, ओ दुनिया
सुरमई आँखों के प्यालों की दुनिया, ओ दुनिया
सतरंगी रंगों गुलालों की दुनिया, ओ दुनिया
सतरंगी रंगों गुलालों की दुनिया, ओ दुनिया

अलसाई सेजों के फूलों की दुनिया, ओ दुनिया रे
अंगड़ाई तोड़े कबूतर की दुनिया, ओ दुनिया रे
के, करवट ले सोई हकीकत की दुनिया, ओ दुनिया
दीवानी होती तबीयत की दुनिया, ओ दुनिया
ख़्वाहिश में लिपटी ज़रूरत की दुनिया, ओ दुनिया रे
के, इन्सां के सपनों की नीयत की दुनिया, ओ दुनिया

ओ री दुनिया
ओ री दुनिया
ओ री दुनिया
ओ री दुनिया

ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है?
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है?
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है?

ममता की बिखरी कहानी की दुनिया, ओ दुनिया
बहनों की सिसकी जवानी की दुनिया, ओ दुनिया
आदम के हवा से रिश्ते की दुनिया, ओ दुनिया रे
शायर के फीके लफ़्ज़ों की दुनिया, ओ दुनिया

ग़ालिब के, मोमिन के ख़्वाबों की दुनिया
मज़ाज़ों के उन इन्क़लाबों की दुनिया
ग़ालिब के, मोमिन के ख़्वाबों की दुनिया
मज़ाज़ों के उन इन्क़लाबों की दुनिया
फैज़ फिराक ओ साहिर ओ मख़दूम
मीर की ज़ौक की दाग़ों की दुनिया

ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है?
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है?
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है?

पलछिन में बातें चली जाती हैं-हैं
पलछिन में रातें चली जाती हैं-हैं
रह जाता है जो सवेरा वो ढूँढे
जलते मकां में बसेरा वो ढूँढे
जैसी बची है, वैसी की वैसी, बचा लो ये दुनिया
अपना समझ के अपनों के जैसी उठा लो ये दुनिया
छिटपुट सी बातों में जलने लगेगी, संभालो ये दुनिया
कटपिट के रातों में पलने लगेगी, संभालो ये दुनिया

ओ री दुनिया
ओ री दुनिया

वो कहे हैं कि दुनिया ये इतनी नहीं है
सितारों से आगे जहाँ और भी हैं
ये हम ही नहीं हैं, वहाँ और भी हैं
हमारी हर इक बात होती वहीं हैं
हमें ऐतराज़ नहीं है कहीं भी
वो आलिम हैं, फ़ाज़िल हैं, होंगे सही ही
मगर फ़लसफ़ा ये बिगड़ जाता है जो वो कहते हैं

आलिम ये कहता, वहाँ ईश्वर है
फ़ाज़िल ये कहता, वहाँ अल्लाह है
क़ाबिल ये कहता, वहाँ ईसा है
मंजिल ये कहती तब इंसान से कि
तुम्हारी है तुम ही संभालो ये दुनिया

ये बुझते हुए चंद बासी चराग़ों
तुम्हारे ये काले इरादों की दुनिया
ओ री दुनिया
ओ री दुनिया
ओ री दुनिया

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